एक सच और इंतज़ार
" मैं हूं तेरा सच , इसके आगे तू बता क्या सच जानना है तुझे , इसका मतलब तुझे अपने इस सच पर भरोसा नहीं , तुझे भी सिर्फ एक नाम चाहिए सच की जगह । और बेटा मुझे अपने सच को किसी कटघरे में खड़ा कर के उसे साबित करने के लिए गवाही नहीं देनी कोई जिरह बहस नहीं करनी । बाकी तेरी मर्ज़ी । तुझे जन्म देना मेरी सच्चाई थी मेरी मर्ज़ी , बाकी तू जो भी समझना चाहता है समझ सकता है ।" उसने अम्मा की तस्वीर को सीधा करते हुए कहा । तस्वीर में भी अम्मा की आंखों में सिर्फ ममता थी कोई सवाल नहीं ।read more in lamhe zindagi ke