चन्द लिफ़ाफ़े काग़ज़ के ,
कुछ तेल के दाग़ ,
बचे हुए कुछ को टटोलती उँगलियाँ ,
अजीब है ये दिल ,
हर बार नए जज़्बात के साथ बिकता है |
फिर
बारिश के पानी की नाव बन ,
बह निकलता है ।
Hindi Poetry by Nikhil Kapoor
Blog: Lamhe Zindagi Ke
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वाह!
THANKS DEAR
बहुत बढ़िया शब्द
shukriya mitr