आज कुछ सड़कों ने करवटें ली हैं
इन पन्नों में जो भी कुछ हैं उन्हें कविता तो नहीं कहा जा सकता, बस कुछ पल हैं जो सुस्ताने को ठहर गए हैं।
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आज कुछ सड़कों ने करवटें ली हैं
चन्द लिफ़ाफ़े काग़ज़ के
चन्द लिफ़ाफ़े काग़ज़ के , कुछ तेल के दाग़ , बचे हुए "कुछ" को टटोलती उँगलियाँ ,
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चन्द लिफ़ाफ़े काग़ज़ के