” कल ,
रात भर ,
एक सांवली सी लड़की ,
अपनी गोद में ,
मेरा सिर रख कर बैठी रही ।
रात भर उसकी लंबी उंगलियां,
मेरे मट मैले बालों में मचलती रहीं ,
और अपने पैने नाखूनों से ,
जहन पर यादों की गलियां खरौंचती रही ।
कुछ खरोंचे उतर आई तकिए पर ,
कुछ पलट गई सपनों में नींद बन के ।
धीरे धीरे ,
उसकी उंगली के पोरों से ,
हकीकत की स्याही टपकी और रात गुजर गई ।
उस सांवली सी लड़की की गोद ,
एक सुबह ,
एक जंग बन गई ।
एक सांवली सी लड़की ,
गर्म धूप के साए में पूरे दिन कभी मेरे आगे ,कभी पीछे
और कभी पैरों से लिपट परछाई की तरह मेरे साथ भटकती रही ,
और शाम उतरते उतरते
आंगन में पड़ी खुरहरी खाट पर पसर गई ।
एक सांवली सी लड़की ,
जानता हूं जिस दिन मैं रुका ,
ये मुझे छोड़ जाएगी ,
और किसी और जिस्म की किसी और उम्र में ,
फिर मिलने आएगी ।
सब कहते है बहुत बेवफा है ,वो सांवली सी लड़की ।
मगर मैं जानता हूं मेरे हर जिस्म की हर उम्र में ,
वो सांवली सी लड़की
जिंदगी बन मुझसे वफा निभाएगी ।
और कल रात की तरह जाने कितनी यादें खरोंचती जाएगी ।
कल रात भर …………
निखिल
Hindi Poetry by Nikhil Kapoor
Blog: Lamhe Zindagi Ke
Aayehaaye! kyaa baat hai bade bhaiyaa!
sneh chote bhai ,
Savali si ladki is exceptionally good
thanks dear ,
Beautiful
Amazing ??? sir ??